उज्जैन | सिंहस्थ 2028 से पहले शिप्रा नदी के दोनों तरफ 29.50 किलोमीटर लंबे घाट बनाने के लिए 21 किलोमीटर की लंबाई तक निजी जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। हालांकि घाट बनाने के लिए शनि मंदिर के पास जमीन समतलीकरण का काम शुरू कर दिया गया है।
शिप्रा नदी के दोनों तरफ 14.5 किमी तक घाट बनाने की योजना प्रदेश सरकार ने बनाई है ताकि श्रद्धालुओं को सिंहस्थ के समय स्नान में सुविधा मिल सके। पहली बार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के प्रयासों से इस योजना को धरातल पर उतारा जा रहा है। त्रिवेणी स्थित शनि मंदिर के पास जमीन समतलीकरण का काम शुरू किया जा चुका है। जल संसाधन विभाग के नमामि शिप्रे खंड के तहत यह प्रोजक्ट किया जा रहा है। 563 करोड़ रुपयों से इस योजना को सिंहस्थ से पहले पूरा करने की बड़ी चुनौती है। इस कारण विभाग ने तय किया है कि बारिश के मौसम के दौरान भी जब बरसात नहीं होगी, तब घाट निर्माण का काम किया जाएगा क्योंकि घाट निर्माण के लिए समय कम बचा है।
हटेंगे निर्माण, बनेगा कॉरिडोर
घाट की राह में आने वाले सभी निर्माण हटाए जाएंगे। इसके बाद जमीन समतलीकरण का काम किया जाएगा। सर्वे रिपोर्ट जल्द ही विभाग के अधिकारियों को सौंपी जाएगी। घाट निर्माण से पहली बार शनि मंदिर से सिद्धवट से आगे उन्हेल बायपास तक लंबा घाट कॉरिडोर बनेगा। अभी बीच बीच में घाट नहीं हैं। कॉरिडोर बनने से श्रद्धालु सिंहस्थ के समय पैदल ही नदी किनारे रामघाट तक भी पहुंच सकेंगे।
Shipra River Ujjain: श्रद्धालु पैदल ही नए घाटों से रामघाट तक पहुंच सकेंगे।
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