उज्जैन. इंदौर के एमवाय अस्पताल में चूहों ने दो मासूमों की जान ले ली। ( Troubles in Ujjain’s Charak Bhawan Hospital ) उज्जैन के शासकीय जिला अस्पताल चरक भवन में पेस्ट कंट्रोल से चूहों की समस्या नहीं होने के दावे है लेकिन यहां जो खामियां है, वह मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं को कुतर रही है। कभी परिजन अपने मरीज को स्ट्रेचर पर ले जाने को मजबूर होते हैं तो कभी वार्ड में काक्रोचों से बचाना पड़ता है।
संभाग के सबसे बडे शासकीय अस्पताल के बुरे हाल है, 500 से अधिक बिस्तर वाला जिला अस्पताल चरक भवन संभाग का सबसे बड़ा शासकीय अस्पताल है। यहां जिले के साथ ही संमाग व आसपास से मरीज उपचार के लिए आते है। इसके बावजूद मरीज और परिजनों को कई अव्यवस्थाओं का सामना करना पड रहा है। स्थिति यह कि मरीजों को बिस्तर पर साफ चादर तक नर्हीं मिलते है।फटे गद्दे पर ही सोना पडता है। चरक भवन का निरीक्षण किया तो ऐसी कई खामियां सामने आई जो संभागीय अस्पताल की व्यवस्थाओं पर सवाल खडे करती है।
वार्ड में काकरोच, इंफेक्शन का डर
चरक भवन में काकरोच व मच्छर की समस्या है।शिशु वार्ड में भी यही स्थिति है। निशा चौरसिया ने बताया, पीलिया होने से उनके बेटे को भर्ती किया है। मंगलवार को बिस्तर के पास ही तीन-चार काकरोच थे जिन्हें उन्होंने हटाया। अस्पताल में इनके होने से इफेक्शन होने का भी खतरा रहता है।
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6 मजिल भवन और लिफ्ट बंद
6 मंजिला चरक भवन में करीब 10 लिफ्ट हैं लेकिन इनमें से दो-तीन बंद ही रहती है। इनका संचालन भी व्यवस्थित नहीं होता है। एक समय में अस्पताल में 800 से अधिक लोग मौजूद रहते है। ऐसे में लिफ्ट के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। कुछ लिफ्ट के तो स्विच ही टूटने लगे है।

फटे गद्दों पर मरीज
अस्पताल में ही लांड्री की सुविधा है। नियमानुसार तय रंग अनुसार हर दिन बेड पर अलग-अलग चादर बिछाई जाना चाहिए लेकिन ऐसा कम ही होता है। कई बेड पर फटे गदे है वहीं कुछ पर चादर ही नहीं मिलती है।
परिसर में खराब ड्रेनेज
अस्पताल भवन के पीछे ही कचरे का बडा ढेर पडा रहता है। यहां का डैनेज लाइन भी खराब हो चुकी है। इसके चलते आए दिन परिसर में गंदा पानी जमा हो जाता है। अस्पताल के पीछे चिकित्सक व स्टॉफ के शासकीय फ्लैट है और यहां भी गाजर घास आदि होने से गंदगी, मच्छर की समस्या रहती है।
परिजन ही बनते हैं वार्ड बॉय
अस्पताल में बड़ी संख्या में वार्ड बॉय है। इसके बावजूद मरीजों को वील चेयर, स्टेरचर से लाने-ले जाने के लिए यह उपलब्ध नहीं होते। परिजनों को ही अपने मरीजों को लेकर स्ट्रेचर धकाना पड़ता है। शंकरपुर निवासी घनश्याम बताते है कि जब कोई वार्ड बॉय नहीं मिला तो उसे ही अपने पिता को एमआरआइ करवाने के लिए स्ट्रेचर पर ले जाना पड़ता है।

अग्निशमन यंत्र की मियाद खत्म
अस्पताल भवन में आग लगने पर जल्द काबु पाने में भी परेशानी आ सकती है। चरक भवन की लांडरी में ऐसा अग्निशमन यंत्र लगा हआ है जिसकी मियाद पहले ही खत्म हो चुकी है। बोर्ड पर इसकी एक्सपायरी डेट 4 फरवरी 25 लिखी है।
Troubles in Ujjain’s Charak Bhawan Hospital: बदहाल चरक, जिम्मेदार लापरवाह।
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