Wineshop Rates in MP: अब एमआरपी से अधिक मूल्य पर नहीं बिक सकेगी शराब

Wineshope Rates in MP
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इंदौर, शराब दुकानों अब MRP से अधिक मूल्य पर शराब नहीं बेची जा सकेगी। शराब बिक्री में हो रहे घोटाले का खुलासा सबसे पहले स्वदेश ने किया था जिसके बाद जिम्मेदारों के संज्ञान में मामला आया और दुकानों पर qr code की व्यवस्था उपभोक्ताओं के लिए कर दी गई है ताकि ठेकेदार अधिक राशि उनसे ना ले सकें। शराब दुकानों पर 1 अप्रैल 2025 से नए ठेके शुरू होने के बाद से लगातार अधिक कीमत वसूली जा रही थी जिसकी शिकायतें भी सामने आई। जिले में 173 कंपोडिट दुकानें हैं। इन दुकानों पर देशी विदेशी मदिरा एमआरपी मूल्य से अधिक दाम में बेची जा रही थी, ऐसे में शराब ठेकेदार आबकारी अफसरों की मिलीभगत से हर दिन करोड़ों रूपए अतिरिक्त राशि के रूप में कमा रहे थे। 

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आबकारी अफसरों और शराब ठेकेदारों के गठजोड़ को उजागर होने के बाद मामला डिप्टी सीएम ( विभाग के मंत्री) जगदीश देवड़ा व वाणिज्यकर विभाग के प्रमुख सचिव अमित राठौर के संज्ञान में आया था। उन्होंने कलेक्टर और आबकारी विभाग के उपायुक्त संजय तिवारी को कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद कलेक्टर ने गोपनीय टीम शराब दुकानों में भेजी तो करीब 18 दुकानों में MRP मूल्य से अधिक दाम में शराब बेचना पाया गया। इसके बाद ठेकेदारों पर करीब 51 लाख rs अर्थदंड लगाया गया था लेकिन इसके बावजूद भी देशी मदिरा प्लेन के 180 ml क्वार्टर पर पांच रूपए अधिक अभी भी लिए जा रहे हैं जबकि MRP मूल्य 75 rs है। ऐसी अनिमितताओं पर अंकुश लगाने एवं उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर शराब उपल्बध कराने के उद्देश्य से शासन द्वारा सख्त निर्देश जारी किए गए हैं कि इन क्यूआर कोड को स्कैन करने पर अबकारी विभाग की साइट आएगी इसमें आप शराब के ब्रांड का नाम डालकर उसकी सही कीमत देख सकते हैं। इसके बाद इंदौर जिले की समस्त 173 कंपोजिट दुकानों पर qr code आधारित नई व्यवस्था लागू की गई है। अब हर दुकान पर तीन स्थानों पर qr code चस्पा किए गए हैं। उपभोक्ता अब इस qr code को स्कैन कर किसी भी मदिरा ब्रांड के MSP और MRP की जानकारी तुरंत प्राप्त कर सकते हैं।

देशी मदिरा का सेवन करने वाले अधिकांश श्रमिक वर्ग से

आबकारी अधिकारियों का दावा है कि क्यूआर कोड लगने के बाद ठेकेदार शराब अधिक दाम पर या न्यूनतम मूल्य पर नहीं बेच सकेंगें लेकिन देशी मदिरा का सेवन करने वाले अधिकांश श्रमिक वर्ग से रहते हैं। ना ही वे इतने पढे लिखे होते हैं और न ही वे एंड्रॉयड मोबाइल का उपयोग करते हैं, ऐसे में ठेकेदार उनसे अधिक रूपए ले भी लेता है तो उन्हें सरकारी सिस्टम का इतना ज्ञान भी नहीं है कि वे किसे इसकी शिकायत करें, यदि स्थानीय अफसरों की मंशा ठेकेदारों पर शिकंजा कसने की है तो उन्हें शाम के समय दुकानों पर जाकर अभियान चलाकर शराब का सेवन करने वालों को जागरूक करना चाहिए कि वे क्वार्टर लेते समय mrp मूल्य देखें और तब रूपए दें यदि अधिक रूपए लिए जा रहें हैं तो इन नंबरों पर शिकायत कर सकते हैं। मगर अफसरों में इतनी इच्छाशक्ति ही नहीं है।

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समय बताएगा कितना लगेगा अंकुश

अफसर लाख दावे कर रहे हैं कि क्यूआर कोड चस्पा करने से ठेकेदारों की मनमानी पर | अंकुश लगेगा लेकिन ये तो वक्त बताएगा कि इस नई व्यवस्था के बाद क्या ठेकेदार मनमाने दाम पर शराब बेचना बंद कर देंगे या फिर चार पांच रूपए अधिक में बेचकर जेब भरने का खेल यूंही चलता रहेगा।

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