उज्जैन, महंगे दाम देने वाला डॉलर चना टेरिफ वार का शिकार हो रहा है। विदेश में चना कंटेनर का व्यापार जाम होने से भारी गिरावट का दौर आ गया है। इससे उत्पादक किसानों को भाव में भारी घाटा हो रहा है। मंडी में 4000 से 8400 के भाव ही किसानों को मिल रहे हैं। अगर आगामी दिनों में इसकी विदेश में बिक्री नहीं हुई तो इसका बेसन निर्माण भी होने लगेगा। कभी 15 से 16 हजार रुपए प्रति क्विंटल बिकने वाला सफेद गुलाबी कलर का काबुली छोला चना कंटेनर में अब 10,100 रुपए क्विंटल हो गया है, जबकि गत वर्ष. जून में कंटेनर 12,000 के चल रहे थे और पोर्ट पर व्यापार भी जमकर चल रहा था। इस वर्ष दो माह से इस प्रकार की जावक जाम चल रही है।
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उज्जैन क्षेत्र के चना उत्पादक, भाव देखकर निराश हैं। टॉप चना के 8500 से 8800 के भाव भी मिल रहे हैं। डॉलर का मूलरूप से विदेश में ही इसका व्यापार बढ़ता है और किसानों-व्यापारियों को लाभ भी हो जाता है। डॉलर चना के कारोबारी एचएल मालवीय ने बताया इस समय देश की घरेलू मांग नहीं होने से दो माह से व्यापार नहीं हो रहा है। इधर उज्जैन, निमाड़, देवास के आसपास इसी प्रकार की उपज ली जाती है। अच्छे लाभ के लिए कारोबारियों ने हजारों क्विंटल का 10,000 रुपए के भाव का चना खरीदकर स्टॉक कर लिया। ब्याज, भाड़ा जोड़ने के बाद बड़ा नुकसान शामिल हो गया है। मध्यप्रदेश चना पैदावार का देशभर में पहले नंबर पर आता है। यहां चने की पैदावार 25.3 प्रतिशत होती हैं। डॉलर कारोबारी सरकार से डॉलर चना निर्यात की आशा रख रहे हैं।
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