भोपाल. राजधानी में 18 साल फर्जी दस्तावेज से वकालत कर रहे रवींद्र कुमार गुप्ता को जिला कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई, है। 25वें अपर सत्र न्यायाधीश पहलाज सिंह कैमेथया की कोर्ट ने चार हजार रुपए अर्थदंड भी लगाया। वह लोगों के साथ कोर्ट को भी धोखा देता रहा।
धोखे की दुकान को चलाने के लिए उसने मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद की सनद बनाई। फर्जीवाड़ा कर जिला अभिभाषक संघ भोपाल की सदस्यता ली। 14 अगस्त 2013 को मिली सदस्यता का क्रमांक 4008 था। 10 मई 2016 को बार काउंसिल ऑफ एमपी का फर्जी प्रमाण पत्र बनाया। इस प्रमाण पत्र क्रमांक 1629/1999 को 17 अगस्त 1999 का बताया गया है।
ऐसे मामला सामने आया
अधिवक्ता राजेश व्यास ने एमपी नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई तब मामला खुला। आरोपी रवींद्र ने जिस प्रमाण पत्र को अपना बताया, वह उज्जैन के अधिवक्ता प्रदीप कुमार शर्मा के नाम से पंजीकृत है। उसे नोटिस जारी कर असली दस्तावेज मांगे गए। रवींद्र ने 3 अप्रेल 2017 को जो प्रमाण-पत्र पेश किया, वह भी फर्जी था।
Bhopal Advocate Fraud: 18 साल से उज्जैन के वकील के पंजीयन को अपना बता भोपाल में की प्रैक्टिस।
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